RK The Shayri World |
1.वो शक्श जो है कि मुझ से मोहब्बत नहीं करता,
वो हस्ता है मुझे देख के नफरत नहीं करता,
मेरे सजदे कि गवाही अब उसे कोन दे जनाब
किसी को दिखाकर मैं उसकी इबाबत नहीं करता,,,,
एक तम्मना है मेरी साथ बस वही एक सक्श हो,
इस से बढ़ कर अब मैं अपनी कोई चाहत नहीं करता।
ऐसे शख्स को चाह रहा हूँ मैं,जो मेरा हो नही सकता,
इश्क़ भी उसका अब मुझे भूल भुल्लाईया सा लगता है,
और अब इससे ज़्यादा मैं और उसमे खो नही सकता,
बढ़ चुका है इश्क़ मेरा बस उस से कुछ इस कदर,
के किसी और के प्यार का बीज अब मैं बो नही सकता,
यूँ दिल ही दिल में रो कर अब हार चुके है हम,
पर इस मतलबी दुनिया के सामने मैं रो नही सकता।।*_“`