भारतीय नव वर्ष : नया साल एक उमंग उल्लास से भरा उत्सव है , जिसे पूरे विश्व में हर्षो उल्लास से मनाया जाता है। पूरी दुनिया में इसे अलग अलग तारीखों व अलग अलग विधियों से मनाया जाता है। ऐसे ही हमारे भारत का नव वर्ष है। जिसे भारतीय हिंदू कलेंडर के अनुसार हर साल चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को बड़े धूम धाम से मनाया जाता है। जिसे नवसंवत्सर भी कहते हैं। भारतीय संस्कृति केे अनुसार चेत्र महीने के पहले दिन को ब्रम्हांड का पहला दिन माना जाता है। जिसे संवत्सर भी कहा जाता है। चैत्र महीने की पूर्णिमा के अगले दिन ही नवरात्रि शुरू हो जाती है। जिसमे माता के अलग अलग रूपों की 9 दिनों में पूजा की जाती है।
हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार हिन्दू धर्म की वैदिक और ज्योतिष विद्या की परपंराओं में यह वर्णन है कि चैत्र मास (महीना) की शुक्ल प्रतिपदा एकम को हिन्दू नव वर्ष की शुरुआत होती है । हिन्दू धर्म की मान्यता अनुसार चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की एकम को ही सारी सृष्टि (संसार , दुनिया ) का निर्माण प्रारंभ हुआ था। हिन्दू धर्म में बताया गया है कि यह निमार्ण कार्य भगवान ब्रह्मा जी ने किया था।
अगर हिन्दू धर्म की ज्योतिष शास्त्र को पढ़ा जाए तो उसमें बताया गया है कि जब मीन राशि में चन्द्रमा और सूर्य एक जैसे अंशो पर गोचर कर रहे होते है तो उस स्तिथि में हिन्दू नववर्ष की शुरुआत होती है । आमतौर पर यह स्तिथि हर साल मार्च-अप्रैल के महीने में बनती है।
हिन्दू नववर्ष के साथ कई सारे अच्छे संयोग जुड़े हुए है जो इसको सच में एक नया साल बनाते है । हिन्दू नववर्ष यानी चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा के समय मौसम में भी बदलाव आता है।
चैत्र नवरात्र 2078 : चैत्र का महीन शुरू हो गया है । इस महीने में नवरात्र का पावन पर्व मनाया जाता है। जो कल 13 अप्रैल 2021 से शुरू होंगे। जिसमे मां दुर्गा के 9 रूपों की विधि विधान के साथ पूजा की जायेगी।
माँ भगवती के 9 रूपों के वर्णन हिन्दू धर्म में कुछ इस प्रकार से है :- पहली शैलपुत्री कहलावे , दूसरी भर्मचारणी मन भावे , तीसरी चन्द्रघन्टा शुभनाम, चौथी कुष्मांडा सुखधाम, पांचवी देवी अस्कन्ध माता, छटी कात्यानी विख्याता, सातवी कालरात्रि महामाया, आठवीं महागौरी जगजाया, नोवीं सिद्धिदात्री जग जाने, नवदुर्गा के नाम बखाने ।।।
।।जय माता दी।।
कहो जय जय महारानी की
।। जय दुर्गा अष्ठ भवानी की ।।
आप सभी को हमारी ओर से भारतीय नववर्ष विक्रम संवत 2078 एवं नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं।।
कुछ शब्द हमारे देश की संस्कृति एवं माँ भगवती के सम्मान में।।।
सब अपनी भारतीय संस्कृति को साथ रखकर चलो,
अपने देश को सोच के मन में अच्छी बात रखकर चलो,
मना नही है दुसरो की संस्कृति को ध्यान में रखने की,
पर अपनी संस्कृति को ज़रा तुम याद रखकर चलो।।।।।
माँ भगवती के आशिर्वाद से सबकी मनोकामना पूरी हो,
ना ही किसी के दिल की कोई आस हाँ अब अधूरी हो,
हम तो नही चाहते बस कुछ खास अपनी माँ भगवती से,
बस हमे तो वो मिले जो हमारी ज़िंदगी को ज़रूरी हो।।।
इस नवरात्रे मन में हमारे अच्छी ही बस बात रहे,
सब अच्छा वो माँ करें सबके अच्छे हालात रहें,
वो बच्चों का अपने हमेशा यूँही ख्याल रखती चले,
और माता भगवती का आशीर्वाद सबके साथ रहे।